गुरु पूर्णिमा का परम पावन महोत्सव
सद्गुरु की कृपावर्षा में परमात्मा दर्शन का स्वर्णिम अवसर
सद्गुरु निराकार ईश्वर का वह साकार रूप है जो परम के धाम से दिव्यता एवं पवित्रता की सुगंध लेकर इस धरा पर अवतरित होते हैं | उनके अवतरण का एकमात्र उद्देश होता है – अशांत, निराश, संत्रस्त, भ्रमित मानव को उसके भीतर छिपे वास्तविक रूप से परिचित करना | सद्गुरु का एक हाथ परम सत्ता के हाथ में होता है तो दूसरे हाथ से वे शिष्य का हाथ थामकर उसे सत्पथ पर प्रेरित करते हैं | उनकी कृपा तथा करुणा ही शिष्य का एकमात्र सम्बल है , जीवन आधार है , प्रेरणा का स्रोत है जिसके बल पर वह साधना के पथ पर अग्रसर होने का साहस करता है |
यधपि सद्गुरु की कृपा वर्षा साधकों पर, शिष्यों पर अनवरत बरसती है किंतु गुरु पूर्णिमा शिष्य के जीवन में आने वाला वह स्वर्णिम अवसर है , जब सद्गुरु अपने दिव्य स्वरूप में स्थित होकर मुक्त हस्त से दिव्य सम्पदा की घनघोर वर्षा करते हैं | धन्य होते हैं वे साधक , वे शिष्यगण जो इन दिव्य क्षणों में सद्गुरु का स्तवन कर, दर्शन कर , वंदन कर उनकी कृपा धारा में स्वयं को आप्लावित करते हैं |
तो आइए, इस शुभ अवसर पर सद्गुरु के द्वार पर श्रद्धापूर्वक उपस्थित होकर उनसे अभ्यर्थना करें कि कृपा के कुछ छींटे हम पर भी ऐसे बरसें कि तन, मन, आत्मा पावन हो उठे |
सभी साधक , श्रद्धालु, जिज्ञासु, शिष्यगणों को गुरुपूर्णिमा महोत्सव में सम्मिलित होने का स्नेहिल आमंत्रण एवं बहुत - बहुत शुभकामनाएं |
सद्गुरु के द्वार से ,
आ रही अलौकिक सुवास
आओ करें दर्शन स्तवन ,
सद्गुरु हैं जीवन मधुमास
गुरु पूर्णिमा की शुभ वेला में ,
पाएं उनका कृपा प्रसाद
आलोकित हो उठे जीवन,
तिरोहित हो समस्त विषाद |
आ रही अलौकिक सुवास
आओ करें दर्शन स्तवन ,
सद्गुरु हैं जीवन मधुमास
गुरु पूर्णिमा की शुभ वेला में ,
पाएं उनका कृपा प्रसाद
आलोकित हो उठे जीवन,
तिरोहित हो समस्त विषाद |